Quality Life (Hindi) by Sirshree - HTML preview

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क्वॉलिटी लाईफ

प्यारे पहाड़ों पर आए हुए खोजियो,

पसीने से लथपथ, पहाड़ों पर, क्वॉलिटी लाईफ-निरंतरता का रहस्य जानने आए खोजियों, आप सबको शुभेच्छा हॅपी थॉट्स!

आज २६ जनवरी है| आपको गुलामी से आज़ादी प्राप्त करनी है और उसके लिए आज आप एक बात जरूर लेकर जाएँगे, जो आपके जीवन की क्वॉलिटी बढ़ा देगा| हरेक को एक चीज तो मिलने ही वाली है| कई लोग अनेक बातें, सत्य का खजाना लेकर जाएँगे मगर एक बात तो सभी जरूर लेकर जाएँ और वह आपकी गीता अनुसार प्रवचन में कहीं पर भी आपको पकड़ में आ जाएगी| उसी के लिए आज आप आए हैं| आज के सेशन की शुरुआत करेंगे|

क्वॉलिटी लाईफ का रहस्य क्या है, वह समझें एक सवाल से| सवाल है कि कोई, जिसे आप आदर देते हैं, जिसे आप मानते हैं; वह, आपका टीचर हो, पिताजी हो, बड़ा भाई हो; यदि आपको कहता है कि ‘मैं आपको उपहार दूँगा, गिफ्ट दूँगा, शर्त यह है कि आपको भी, खुद को एक गिफ्ट देनी होगी’ तो क्या आप वह शर्त मंजूर करेंगे?

जिन्हें लगता है करेंगे, वे हाथ ऊपर करें| हाँ, सभी को लगता है कि एक तो गिफ्ट मिल रही है, ऊपर से कहा जा रहा है, ‘आपको एक गिफ्ट खुद को देनी है|’ यानी जैसे कोई आपको कार गिफ्ट देता है, कहता है, ‘मैं आपको कार गिफ्ट दूँगा, शर्त यह है कि आप भी खुद को एक गिफ्ट देंगे यानी कार में नए सीट कवर खरीदकर लगाएँगे|’ तो आप कहेंगे ‘बिलकुल’ क्योंकि वे भी तो आपके ही होनेवाले हैं तो सभी रेडी हैं, इसके लिए?

वैसे ही ईश्वर ने आपको एक उपहार दिया है और शर्त रखी है कि आपको भी खुद को एक उपहार देना है| ईश्वर ने कौन सा उपहार दिया है? जिसे कहते हैं जीवन, लाईफ|

Quote2

'आपको जो जीवन मिला है, वह ईश्वर का उपहार है| आपको जो उपहार खुद को देना है, वह है ‘क्वॉलिटी ऑफ लाईफ|’

क्वॉलिटी आपको देनी है, आध्यात्मिक स्टैंडर्ड आपको बढ़ाना है| क्वॉलिटी यह गुण सभी को अपने अंदर लाना है, जिनका मार्ग श्रवण मार्ग है क्योंकि जब हम सुनते हैं, पढ़ते हैं तो हमारे अंदर शुभेच्छा जगती है, ‘ऐसा हो, मेरे जीवन को क्वॉलिटी मिले, गुणवत्ता’ और फिर आपका पूरा जीवन बदल जाता है|

तो इस क्वॉलिटी कंट्रोल से, क्यू. सी. से हम शुरुआत करेंगे कि हमें जीवन को कैसी क्वॉलिटी देनी है| और क्वॉलिटी देने में हमें जीना बंद नहीं करना है, जीते हुए ही इसकी क्वॉलिटी बढ़ानी है| अगर कोई चीज इस्तेमाल ही नहीं की जाए और कोई कहे, ‘इसकी क्वॉलिटी बहुत अच्छी रखी है मैंने|’ तो आप कहेंगे, ‘इसमें कोई बड़ी बात नहीं है|’ आप जिस चीज का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसकी क्वॉलिटी बरकरार रखते हैं, बढ़ाते हैं, इसके लिए ज्ञान चाहिए| इसे एक चुटकुले से समझें|

Smile

एक इंसान ने अपनी शादी का कोट, शादी में पहनते हैं न लोग, नया सिलाते हैं तो उसने इंटरनेट पर ऑनलाईन पर सेल के लिए रखा, कोट सेल करने के लिए| शादी का कोट जिसकी क्वॉलिटी बहुत बढ़िया है, बेस्ट है, जिसे खरीदना है खरीदे| इसकी क्वॉलिटी इतनी अच्छी है कि सिर्फ इसे एक ही बार पहना है, वह भी गलती से| तो इंसान ने जीवन जीया ही नहीं और क्वॉलिटी रखे तो कोई बड़ी बात नहीं है|

संसार में रहते हुए ही हिमालय पर जाकर नहीं बैठना है| संसार में रहते हुए ही, इस्तेमाल करते हुए ही, जीवन जीते हुए ही जीवन का रहस्य समझ जाना है तो क्वॉलिटी आपको मिलनेवाली है| अब इस विषय में प्रवेश करें| एक-एक कदम पर आपको एक-एक बात समझ में आती जाएगी| फिर सबको मिलाकर एक पिक्चर तैयार होगी कि आप यहाँ से जाकर कैसे जीवन जीनेवाले हैं|

Analogy

इंसानी शरीर के तीन मंदिर - ऐनॉलाजी

ऐसे समझें कि तीन मंदिर हैं, बड़े मंदिर| कोई चार एकड़ का है, कोई पाँच एकड़ का, कोई छह एकड़ का; ऐसे तीन मंदिर हैं, पुजारी है|

पहला जो मंदिर है उसमें तेल गिरा हुआ है| तो जब पुजारी वहाँ आता है, फिसल जाता है, बेहोश हो जाता है| काफी घंटों बेहोश रहता है| फिर उठता है, फिर कुछ काम करता है, आरती करता है| फिर कुछ चलने-फिरने में फिसल जाता है, तो इस मंदिर में तेल है|

दूसरे मंदिर में रेत है, यहाँ का पुजारी आता है तो रेत के कण उसकी आँखों में चले जाते हैं इसलिए वह जो काम करता है, अंधा-धुँध काम करता है| आँख में धूल हो, दिखाई न देता हो तो काम इंसान कैसे करेगा? कुछ चीजें गिराएगा, अंधा-धुँध काम करता| यह दूसरे मंदिर का पुजारी है| यह उदाहरण है, जिसमें आपको अपने बारे में पता चलेगा| बाहरी उदाहरण से हमें अपने बारे में जानना होता है|

तीसरा मंदिर, जिसका पुजारी मंदिर के बाहर रखे हुए सैंडल को लेकर आता है अंदर| आप जानते हैं मंदिर के बाहर लोग अपने चप्पल, सैंडल उतारकर रखते हैं| तीसरा पुजारी मंदिर के बाहर रखी हुई सैंडल को लेकर आता है क्योंकि उसने सुन रखा है कि सैंडलवुड का तिलक लगाते हैं; सैंडलवुड का, चंदन का तिलक लगाना जरूरी है तो वह सैंडल लेकर आता है अंदर मंदिर में|

अब इन तीनों पुजारियों के बारे में बताया| इसमें आपको क्या समझना है कि आपका शरीर चार फीट का है, पाँच फीट का है, छह फीट का है, जो भी उसकी साइज है, मंदिर है| आपका शरीर मंदिर है| इसमें क्या है? तेल है, रेत है, सैंडल है| आज का विषय अगर इन शब्दों में कहें तो क्या बनेगा? तेल, रेत और सैंडल से मुक्ति, मगर यह तो हमें समझेगा नहीं इसका अर्थ क्या? तो पहले अर्थ समझ लें|

प्रतीकों की समझ

१) तमोगुण ः

तेल क्या है? तेल है तमोगुण, तमोगुण यानी सुस्ती, आलस्य| तीन तरह के लोग होते हैं| पहले प्रकार के लोग होते हैं तमोगुणी, इनके मंदिर में तेल होता है यानी फिसल जाते हैं, घंटों सोए रहते हैं| फिसल जाते हैं, बेहोश रहते हैं, अपनी ही दुनिया में शेखचिल्ली की तरह| इन्हें कहते हैं तमोगुणी|

ये तमोगुणी कैसे लोग होते हैं? जो अगर लेटे हैं तो कभी बैठेंगे नहीं, अगर मजबूरी में बैठना ही पड़ा क्योंकि सोने की व्यवस्था नहीं है तो बैठे हैं तो खड़े नहीं होंगे| और मजबूरी में खड़ा ही होना पड़ा क्योंकि बैठने की जगह नहीं है तो कभी चलेंगे नहीं| मगर मजबूरी में चलना पड़ रहा है, खड़े होने की जगह नहीं है तो दौड़ेंगे नहीं कभी| ये पहले देखेंगे कमफर्टेबल क्या है? लेटने की है व्यवस्था तो लेटे ही रहेंगे, मजबूरी में ही उठेंगे सुबह| इन्हें कहा जाता है तमोगुणी, तम, तेल| इस मंदिर के लोग बीच-बीच में जो झपकी लेते रहते हैं, उनके जीवन की क्वॉलिटी कैसी रहेगी, आप कल्पना कर सकते हैं|

२) रजोगुण ः

दूसरी तरह के लोग, जहाँ रेत है यानी रजोगुण, रजोगुणी| रजोगुणी कैसे लोग होते हैं, जो शांत नहीं बैठ पाते, उन्हें कोई न कोई काम चाहिए ही| कोई न कोई कार्य करते ही रहेंगे, करते ही रहेंगे, बैठ ही नहीं सकते| एक इच्छा पूरी हुई कि दूसरी इच्छा पूरी करने में लग गए| उन्हें कहो, ‘ध्यान में बैठो’, बैठ नहीं पाएँगे| ‘आँख बंद करके ध्यान में बैठो’, मुश्किल है| अब ये रजोगुणी हैं, तमोगुण से कुछ बेहतर मगर फिर भी रेत है| आँख में रेत गई तो अंधाधुँध कार्य होता है| जीवनभर ये लोग काम करेंगे मगर बिना पृथ्वी लक्ष्य पाए पृथ्वी से जाएँगे| इनके द्वारा लोगों का लाभ होगा मगर वे खुद बिना पृथ्वी लक्ष्य पाए पृथ्वी से जाएँगे| रजोगुणी इस तरह के लोग होते हैं|

३) सत्वगुण ः

सत्वगुणी कैसे लोग हैं? जहाँ अच्छा दिखना ज्यादा इम्पॉर्टेंट हो जाता है| ‘मुझे कोई बुरा न कहे’, ऐसे लोग होते हैं| मैं सभी की नजर में अच्छा दिखूँ| अच्छा दिखना उनके लिए ज्यादा इम्पॉर्टेंट है| वे तम को, रज को बैलेंस कर पाते हैं, काम भी करते हैं, आराम भी करते हैं, ध्यान भी करते हैं इसलिए ‘मैं लोगों से बेहतर हूँ... बाकी लोगों से मैं बेहतर हूँ|’ यह सूक्ष्म अहंकार होता है, यह उन्हें पकड़ में नहीं आता| सैंडल और चंदन में फर्क वे नहीं समझ पाते| क्योंकि सत्वगुणी होना अच्छी बात है, उस पर लोग तारीफ करते हैं, ‘आप बहुत अच्छे हैं, आप बहुत सज्जन हैं|’ तो वह इतना अच्छा लगता है कि इंसान वहीं रुक जाता है, सत्वगुण से आगे बढ़ता ही नहीं है|

जीवन का असली लक्ष्य

जब आप इन तीनों गुणों से मुक्त हो जाएँगे; तमोगुण, रजोगुण और सत्वगुण तीनों से मुक्त होना| इसलिए कहा गुलामी से मुक्त होना, तम की गुलामी, रज की गुलामी, सत् की गुलामी| जब आप तीनों से मुक्त होते हैं तो आपको आपका लक्ष्य क्लियर होगा| लक्ष्य क्या है आपका- निर्गुण बनना, निर्गुण|

ईश्वर के लिए शब्द आपने सुने होंगे- निर्गुण, निराकार| ऐसे शब्द क्यों आए? निर्गुण का अर्थ तम, रज, सत ये गुण हर इंसान के अंदर होते हैं| जब आप नींद में जाते हैं तो तमोगुण का इस्तेमाल करते हैं जब आप कार्य करते हैं, रजोगुण का इस्तेमाल करते हैं| जब आप दोनों को बैलेंस करके जीवन सात्विक बनाते हैं तब आप सत्वगुण का उपयोग करते हैं| मगर तीनों में ही रहे तो भी आप लक्ष्य से दूर हैं| तीनों के पार जाना लक्ष्य है| रज, तम से; रज, तम, सत से मुक्ति|

इसे पहले लक्ष्य की तरफ जाने के लिए क्लियरिटी खुद को दें कि यह मेरा लक्ष्य है| आज सभी यह लक्ष्य लेकर जाएँ, रज, तम, सत तीनों से मुक्त होना है| अब इसके लिए हमें एक-एक क्वॉलिटी अपने अंदर लानी होगी| वे क्वॉलिटीज् क्या हैं उन पर बात करेंगे| मगर इन तीनों बातों को आपने समझ लिया, तीन पुजारी कौन? आप कौन से पुजारी हैं? आपको खुद से पूछना है, ‘मैं किस कैटगिरी में आता हूँ?’

ये तो मोटे-मोटे तीन प्रकार बताए| पाँच पांडवों से आपको थोड़ा और क्लियर होगा| भीम तमोगुण की तरफ जाता है, अर्जुन रजोगुण की तरफ जाता है और युधिष्ठिर सत्वुगण की तरफ जाता है| अब कुछ लोग होते हैं, तमोगुणी भी नहीं हैं और रजोगुणी भी नहीं हैं, बीच में हैं दोनों के, वे हैं सहदेव| कुछ लोग हैं जो रजोगुणी और सत्वगुणी के बीच में हैं, पूरे रजोगुणी भी नहीं हैं और पूरे सत्वगुणी भी नहीं हैं, इनके बीच में हैं| वे कौन हैं? नकुल|

पाँच पांडवों में आप खुद को कहाँ देख रहे हैं? जहाँ भी हैं आपको पार जाना है, पाँचों के पार| जैसे हम पाँच ऊँगलियाँ देखते हैं, हर ऊँगली के तीन हिस्से हैं| तीन हिस्सों को क्या समझें तम, रज, सत| तम है, रज है, सत है, पाँच ऊँगलियाँ, पाँच इंद्रियाँ| आपकी जो इंद्रियाँ हैं- आँख, कान, नाक, जुबान, त्वचा| ये जो आपकी ऊँगलियाँ हैं, ये पाँच इंद्रियाँ और पाँच तत्वों से बना हमारा शरीर; पृथ्वी तत्व, जलतत्व, अग्नितत्व, वायुतत्व, आकाशतत्व इनसे बना हुआ हमारा शरीर|

तो हाथ से आप समझें, तीन गुण हर ऊँगली पर आप देखते हैं| यह बैलेंस करना जरूरी है| जैसे आयुर्वेद में, आयुर्वेद में क्या करते हैं वात, कफ, पित्त तीनों को बैलेंस करते हैं तो आयुर्वेद तैयार होता है, आयु बढ़ती है| तीनों को बैलेंस करना वात, पित्त, कफ, वी.के.पी. आप बैलेंस करते हैं| रज, तम, सत बैलेंस करते हैं तो आप पार जा पाते हैं| ये तीनों पाँच तत्व, पाँच इंद्रियाँ|

और जब हम इसे बंद करते हैं, खोलते हैं तो यह क्या है? प्राण| साँस लेते रहते हैं न हम? तो यह क्या है, यह प्राण है हमारे शरीर का और यह मुट्ठी बंद हमारा मन, तो यह मंदिर है| इसकी कनेक्शन कहाँ है? आप इस कनेक्शन पर जाएँगे तो हृदय पर पहुँच जाएँगे| इसे चलानेवाला कौन है? इस शरीर को चलानेवाला कौन है? तो आप हृदय पर जाते हैं, जिसे कहते हैं तेजस्थान, तेज-स्थान| हनुमान ने तो यह प्रैक्टिकली दिखाया था| आपने कहानियों में सुना है| सीना चीरकर दिखाया, राम उधर है चलानेवाला, हनुमान के हाथ को चलानेवाला, सेवा करवानेवाला राम हृदय में|

तो अब इसमें आपको समझना क्या है? आपके काम की चीज क्या है? रज, तम, सत| ये इंसान को बिठाते हैं, दौड़ाते हैं, अच्छा दिखलवाते हैं| इनकी ही वजह से इंसान कुछ करते हुए आपको दिखता है| कोई गाली देते हुए दिखता है, कोई ताली देते हुए दिखता है| तो आप लोगों को दोष देते हैं कि ‘इसने ऐसा किया, उसने ऐसा किया|’ ऍक्चुली में अंदर क्या कहना चाहिए, ‘उसके रजोगुण ने ऐसा किया, उसके तमोगुण ने ऐसा किया, उसके सत्वगुण ने ऐसा किया|’ ये गुण हैं, ये इंसान को दौड़ा रहे हैं| ये तीन गुण इंसान से कार्य करवा रहे हैं| कोई डूअर नहीं है, ये तीन गुण डूअर हैं, ये इंसान को अपराध की तरफ ले जाते हैं, ये इंसान से अच्छे कार्य करवाते हैं| जो इन तीनों को जानकर इनके पार जाएगा, वही पृथ्वी लक्ष्य प्राप्त करके जाएगा|

सिर्फ सत्वगुणी कोई बन गया तो लक्ष्य पूरा नहीं होता है| लोगों ने सत्वगुणी बनने को ही लक्ष्य मान लिया मगर युधिष्ठिर के साथ क्या हुआ आप जानते हैं| युधिष्ठिर सत्वगुणी मगर उसने क्या किया जुआ में, अपने भाइयों को भी दाव पर लगा दिया, अपनी बीवी को भी दाव पर लगा दिया| सत्वगुणी गलतियाँ कर सकता है इसलिए तीनों के पार जाना है|

Smile

एक पति ने अपनी बीवी को कहा, क्योंकि बीवी ने कहा कि ‘जुआ खेलना बंद करो’, तो पति ने क्या कहा, ‘युधिष्ठिर भी तो जुआ खेलता था न| ज्ञानी युधिष्ठिर, वह भी तो जुआ खेलता था न|’ पत्नी ने कहा, ‘हाँ और उसकी बीवी के चार और पति भी थे, चलेगा?युधिष्ठिर ही बनना है!

तो युधिष्ठिर जैसे लोग क्या करते हैं- पृथ्वी लक्ष्य को भी जुआ में हार जाते हैं क्योंकि सूक्ष्म अहंकार है| सूक्ष्म अहंकार झुकने नहीं देता| ‘मैं जानता हूँ, मुझे मालूम है’ तो वह सुनना नहीं चाहता| कहीं तो ‘मैं दूसरों से बेहतर हूँ’, उसके अंदर यह अहंकार आ जाता है| इसलिए तीनों के पार जाओ और लोगों पर, जिनसे आपको शिकायत होती है पति है, पत्नी है, बच्चे हैं, पड़ोसी है तो ये गुण हैं, ये उससे काम करवा रहे हैं| मुझे अब इन गुणों से पार जाने का रिमाइंडर दे रहे हैं|

लोगों को कार्य करते हुए देखो तो खुद को रिमाइंडर दो, ‘मुझे तीनों के पार जाना है|’ क्योंकि अभी सभी को लक्ष्य क्लियर है| निर्गुण यानी रज, तम, सत से मुक्ति यानी तेल, रेत और सैंडल से मुक्ति, गुलामी से मुक्ति| इन तीनों की गुलामी हो रही है| तीनों गुणों की गुलामी इंसान कर रहा है| जब मालिक बनता है, मालिक बनने के लिए तेजस्थान पर आना होगा| मालिक बनने के लिए हेड से हार्ट पर आना होगा| आज यहाँ वे खोजी भी बैठे हैं जिन्होंने महाआसमानी शिविर आज कम्पलीट किया तो वे इस बात को और अच्छे से समझ पाएँगे| वे लोग हाथ ऊपर करें जिनका शिविर हुआ है, आज कम्पलीट हुआ है| बढ़िया|

लक्ष्य प्राप्ति का तरीका

तेजस्थान से जीना आप सीखे हैं| अब इन सब बातों को जीवन में जाकर अप्लाय करना है, इसलिए लक्ष्य आपको क्लियर हो गया| और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपको क्या करना होगा? इन तीनों को काटने के लिए, जैसे लोहा, लोहे को काटता है| तो इन तीन गुणों को काटने के लिए हम क्या करेंगे, कुछ और गुणों को लेकर आएँगे| जैसे लोहा लोहे को काटता है मगर ये गुण लोहा नहीं हैं| जो गुण लाएँगे वे हीरे हैं| जो हम काटने के लिए लाएँगे वे हीरे हैं| हीरों से लोहे को काटना है| तमोगुण तो लोहा दिखता है, रजोगुण भी लोहा दिखता है, सत्वगुण लोहा दिखता ही नहीं है, वह तो अच्छा लगता है मगर इसे भी काटकर हमें आगे जाना है| तो लक्ष्य भी क्लियर हो गया, आपको तरीका भी क्लियर हो रहा है|

तो तरीके में सबसे पहले तमोगुणी लोग जो हैं, उन्हें इस गुण को जरूर लाना है, इस क्वॉलिटी को| कौन सी क्वॉलिटी? बाकी लोग भी लाएँगे मगर तमोगुणी लोगों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, भीम और सहदेव जैसे लोगों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह क्वॉलिटी है ‘निरंतरता’ यानी कोई कार्य हम शुरू करते हैं, कोई अभ्यास हम शुरू करते हैं| रोज दस मिनट ध्यान करना ठानते हैं तो रोज दस मिनट हम देते ही हैं या व्यायाम करने का सोचते है?