Men's HUB - 028 by Men's HUB - HTML preview

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Dr. G.Singh

Chapter – 01

चारों (रफ अंLेरे का सा्቞ाज्य और इस अंLेर ेस ेलड़(ी

हुई ्ቚका+ की बहु( ी छो ी सी हिकरण, ्ቚका+ की य हिकरण एक

छो ी से ोच स ेहिनकल र ी थी | ोच बहु( ी छो ी और उससे

हिनकलने वाली ्ቚका+ हिकरण इ(नी मामूली की एक मी र दूर (क

्ቚका+ करने में भी असमथ | यटिद चारों (रफ LुंL ना ो(ी (ो संभव

था की ्ቚका+ हिकरण +ायद कुछ अमिLक दूर (क रो+नी कर सक(ी, परन्(ु LुंL के कारण चारों (रफ का मा ौल और भी अमिLक र स्य्पूण

ो गया था | ्ቚका+ हिकरण छो ी सी ोच स ेहिनकल कर अँLेर ेसे

लड़ने का ्ቚयास कर र ा था और व छो ी सी ोच एक ्ቤलि8 की

ाथ में पकड़ी हुई थी | उस ्ቤलि8 न े ोच का आग ेवाला हि स्सा झुका

रखा था (ाहिक ोच की रो+नी ज़मीन पर पड़ ेऔर उस ेआग ेबढ़न ेमें

स ायक ो | व ्ቤलि8 बहु( (ेजी स ेएक (रफ बड़ा जा र ा था |

इस वक़्( उनके साथ कोई न ीं ैऔर जिजस जग प

र व ्ቤलि8 आगे

बढ़ र ा था उसे यटिद जंगल क टिदया जाय े( ोगल( न ीं ोगा | चारों

(रफ वृb ी वृb, अजीब ्ቚकार के वृb, ऐसे वृb जिजनको उस ्ቤलि8 न ेअपन ेजीवन में कभी न ीं देखा था परन्(ु

उसके पास वृbों को देखने का वक़्( न ीं था उस ेक ीं पहुँचना था | काफी देर (क चलन ेके बाद व अपनी मंजिज़ल

पर पहुँच गया | उसकी मंजिज़ल एक बहु( बड़ा सा हिकला था और इस वक़्( व हिकल ेकी एक बहु( ऊँची टिदवार के

हिकनारे पर था | उसे हिकले के दूसरी (रफ पहुँचना था और उसन ेटिदवार के स ार ेस ार ेआग ेबढ़ना +ुरू कर टिदया |

य बहु( लम्बी या्ቔा थी और वास्(व म ेंअमिLक सावLानी स ेआग ेबढ़न ेकी भी जरूर( थी क्योंहिक हिकल ेकी दीवारों

पर प रेदा

र मौजूद थे जो उसे देख सक

(े थ े| और व ्ቤलि8 हिफ़ल ाल न ीं चा ( ाथ ाक ीप रेदारों उ

से देख े| बहु(

देर चल

ने

के बाद व हिक

ले

के हिवपरी

( टिद+ ा

में पहु

ँच गय ा| य ाँपर उसने अपनी ज

ेब से एक छो ास ायं्ቔ हिनक

ल कर

चेक हिकया और उस यं्ቔ पर भरोसा कर( ेहुए व अपनी जग स े(करीबन 10 मी र पीछे लो आया | जब उसे

यकीन ो गया की व स ी जग पर आ पहुंचा ै(ब उस

ने यं्ቔ दोबारा जेब म ेंरख लिलय ाऔ

र छो ी ो

च क ीमद

द से

सामने की दीवार का हिनरीbण करन ेलगा | थोड़ी देर हिनरीbण के प्ቐा( ्उसन ेएक पत्थर पर लके लके थपथपाना

आरंभ कर टिदया | देखने में ऐसा लग र ा था जैस ेकी पत्थर पर व ्ቤलि8 कुछ सांकेहि(क ध्वहिन पैदा कर र ा ै|

काफी देर लगी परन्( ुउसके ्ቚया

स आखिखर र

ंग ला

ये औ

र उसस े(करीब

न 2 मी

र दूर एक पत्थर दरवा

ज़े क ी(र खुल

गया | व ्ቤलि8 खुल ेदरवाज़े से (ुरं( ी अंदर दाखिखल ो गया ज ा ँएक अन्य ्ቤलि8 उसका इं(ज़ा

र क

र र ाथा |

्ቚका+ की बहु( ी मामूली ्ቤवस्था और इस ्ቚका+ म ेंहिकसी को प चान पाना लगभग नामुमहिकन, +ायद एक दूसरे

को प चानने की उत्सुक(ा भ ीन ीं इसीलिल

ए दोनों चुपचा

प एक (र

फ क ोब

ढ़ ग

ए | य रास्( ाएक बहु( बड़ ीसुरंग के

रूप में था और दीवारों की नमी और नमी से पैदा हुई बदबू से अनुमान लगाया जा सक( ाथ ाकी य सुर

ंग ज़मी

न के

नीचे नीचे बनी हुई थी | वास्(व में य सुरंग हिकल ेकी मो ी दीवार के नीच े बहु

( दू

र (

क चल ीगय ीथी | जिजस जग